जानिये रक्तचाप से कैसे प्रभावित होता है आपका शरीर और कैसे करें इसे कंट्रोल



जानिये रक्तचाप से कैसे प्रभावित होता है आपका शरीर और कैसे करें इसे कंट्रोल

  • QUICK BITES

  • जब दिल धड़कता है तब असल में ये हमारे खून को पंप कर रहा होता है।
  • जब नसों में ब्लड बहता है तो ये नसों के किनारों पर दबाव बनाता है।
  • शरीर के अंगों तक पोषक तत्वों को पहुंचाने का काम ब्लड यानि खून करता है


हमारे शरीर को अच्छी तरह काम करने के लिए ढेर सारे पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ये सभी तत्व हमें आहार से मिलते हैं। शरीर के सभी अंगों तक पोषक तत्वों को पहुंचाने का काम हमारा ब्लड यानि खून करता है। जब हमारा दिल धड़कता है तब असल में ये हमारे शरीर में मौजूद खून को पंप कर रहा होता है। शरीर में बिछी हुई नसों के जाल के सहारे यही ब्लड हमारे शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन और अन्य एनर्जी पहुंचाता है। जब नसों में ब्लड बहता है तो ये नसों के किनारों पर दबाव बनाता है। बल्ड के इसी दबाव यानि प्रेशर को ब्लड प्रेशर कहते हैं। अगर आपका ब्लड प्रेशर ज्यादा हो गया है तो ये हार्ट को इसे पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ये दबाव जरूरत से ज्यादा हो जाए तो हार्ट अटैक या हार्ट स्ट्रोक हो जाता है।

लो ब्लड प्रेशर की समस्याएं

अगर आपका ब्लड प्रेशर लो है तो ये ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है जबकि ब्लडप्रेशर लो होने पर भी शरीर में रक्त प्रवाह की गति धीमी पड़ जाती है, जिससे सिर चकराना, जी मिचलाना, कमज़ोरी, नजर में धुंधलापन और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होने लगती हैं। क्योंकि कुछ सामान्य कामों और आहार द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। वैसे लो बीपी का एहसास होने पर तुरंत एक कप चाय या कॉफी पीकर थोड़ी देर के लिए राहत मिल सकती है। अगर किसी को स्थायी रूप से ऐसी समस्या हो तो ब्रेन तक ऑक्सीजन और अन्य ज़रूरी पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते, जो शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है। सामान्य रक्तचाप 120/80 होता है लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि सभी का ब्लड प्रेशर हमेशा इतना ही हो। अगर किसी व्यक्ति का सिस्टोलिक बीपी (हायर साइड) 90 से कम और डायस्टोलिक (लोअर साइड) 60 से भी नीचे हो तो इसे लो बीपी माना जाता है। वह भी उस स्थिति में, जब ब्लड प्रेशर अकसर इतना ही रहे। हालांकि, यह भी संभव है कि हमेशा निर्धारित बॉर्डर लाइन से कम ब्लड प्रेशर होने पर भी कुछ लोग पूर्णत: स्वस्थ और सक्रिय रहते हैं।
इसे भी पढ़ें:- बिना दवा के हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल रखते हैं ये आसान उपाय

हाई ब्लड प्रेशर है खतरनाक

जब मरीज का रक्तचाप 140/90 से अधिक होता है तो ऐसी स्थिति को उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन कहा जाता है। इसका अर्थ यह है कि धमनियों में उच्च तनाव है। उच्च रक्तचाप का मतलब अत्यधिक भावनात्मक तनाव होना नहीं है। भावनात्मक तनाव व दबाव अस्थायी तौर पर रक्त के दाब को बढ़ा देते हैं। सामान्यतः रक्तचाप 120/80 तक ही होना चाहिए। 139/89 के बीच का रक्त का दबाव प्री-हाइपरटेंशन कहलाता है और 140/90 या उससे अधिक का रक्तचाप उच्च माना जाता है। उच्च रक्तचाप से हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, धमनियों का सख्त होना, आंखें खराब होना और मस्तिष्क खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।

क्यों होती है ब्लड प्रेशर की समस्या

ब्लड प्रेशर के लो होने के कई कारण हो सकते हैं। डीहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी, जिसके कारण लंबे समय तक नॉजि़या, वॉमिटिंग या डायरिया जैसी समस्याएं हो जाती हैं। ज्य़ादा एक्सरसाइज़, शारीरिक श्रम या लू लगने के कारण भी ऐसा हो सकता है। इससे दृष्टि में धुंधलापन और बेहोशी जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। ज्य़ादा खून बहने से भी ब्लड प्रेशर कम हो सकता है। चाहे यह ब्लीडिंग किसी एक्सीडेंट या ऑपरेशन की वजह से हो या किसी और कारण से। कई बार डिलिवरी के बाद भी खून की कमी से स्त्रियों में लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। इसके अलावा दिल की मांसपेशियां कमज़ोर होने की स्थिति में भी हार्ट बहुत कम मात्रा में खून को पंप कर पाता है। इससे शरीर में रक्त-प्रवाह धीमी गति से होता है और व्यक्ति का ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। इसके अलावा जब थायरॉयड ग्लैंड से हॉर्मोन का बनना कम हो जाता है तो भी लो बीपी की समस्या हो सकती है।
इसे भी पढ़ें:- उच्‍च रक्‍तचाप में नियमित इन चीजों से करें बचाव

हाई ब्लड प्रेशर से बचाव

ब्लड प्रेशर के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है, अधिक मात्रा में नमक का सेवन, जिससे कि हृदय की समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे आहार लें जिनसे शरीर में कालेस्ट्राल का स्तर नियंत्रित रहे क्योंकि कोलेस्ट्राल का स्तर हृदय स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित करता है। सेब और संतरे जैसे फल, प्याज़, ब्रोकोली जैसी सब्जि़यों और मछली का सेवन करें। हृदय के मरीजों के लिए गुस्सा जानलेवा हो सकता है। तनाव दूर करने का हर संभव प्रयास करें, आप मेडीटेशन और योगा का भी सहारा ले सकते हैं। बहुत अधिक मात्रा में मादक पदार्थों के सेवन से ब्ल्ड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे आगे जाकर वजन बढ़ता है और दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है। अपने स्वास्‍थ्‍य और रहन-सहन पर थोड़ा ध्यान देकर आप हृदय सम्‍बन्‍धी समस्याओं से बच सकते हैं।

लो ब्लड प्रेशर से बचाव

अगर आपको लो बीपी की समस्या हो तो कभी भी झटके के साथ न उठें। इससे चक्कर आने और गिरने का खतरा रहता है। हमेशा धीरे-धीरे अपने पोस्चर में बदलाव लाएं। साथ ही असमय और हेवी डाइट लेने से बचें, इससे बीपी लो हो जाता है क्योंकि ऐसी स्थिति में पाचन तंत्र की ओर रक्त का प्रवाह तेज़ी से होता है पर शरीर के अन्य हिस्सों में इसकी गति धीमी हो जाती है। इससे व्यक्ति को सुस्ती महसूस होती है। लो बीपी की समस्या होने पर आप अपनी डाइट में कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों जैसे आलू, चावल, पास्ता और ब्रेड आदि की मात्रा कम कर दें। तनाव से ब्लड प्रेशर बढ़ भी सकता है और घट भी सकता है इसलिए तनाव भी लो ब्लड प्रेशर का कारण हो सकता है। अपनी डाइट में नियमित रूप से हरी पत्तेदार सब्जि़यों के अलावा केला, तरबूज, अनार और अंगूर जैसे फलों को प्रमुखता से शामिल करें। चुकंदर के जूस का नियमित सेवन भी ब्लड प्रेशर को संतुलित रखता है। अपनी डाइट में जूस, छाछ, शिकंजी और लस्सी जैसे तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं और खूब पानी पियें। लो ब्लड प्रेशर होने पर व्रत-उपवास से बचें और ज्यादा देर तक खाली पेट न रहें। हर दो-तीन घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।

Comments

Popular posts from this blog

Women's Health Tips for better shape, and body - more health 4 all

7 reasons why too much salt is bad for you